लेखनी प्रतियोगिता -01-Sep-2022

1 Part

256 times read

18 Liked

जब आंखे निर्झर बहती हैं मानवता भी कुछ कहती है जब कोई निर्बल रोता है आशा का सम्बल खोता है विश्वास की नगरी ढहती है मानवता तब कुछ कहती है। जिसकी ...

×